BA Semester-1 Raksha Evam Strategic Study - Hindi book by - Saral Prshnottar Group - बीए सेमेस्टर-1 रक्षा एवं स्त्रातजिक अध्ययन - सरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-1 रक्षा एवं स्त्रातजिक अध्ययन

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :250
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2635
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-1 रक्षा एवं सैन्य अध्ययन

प्रश्न- अफवाह (Rumor) क्या है? युद्ध में इसके महत्व का उल्लेख करते हुए अफवाहों को नियंत्रित करने की विधियों का वर्णन कीजिए।

अथवा
अफवाह को परिभाषित कीजिए। इसके महत्व का उल्लेख कीजिए। अफवाह को नियंत्रण में रखने के लिए कौन-कौन-सी विधियाँ कार्य में लाई जाती है?
सम्बन्धित लघु प्रश्न
1. अफवाह क्या है?

उत्तर-

अफवाह
(Rumours )

मनोवैज्ञानिक युद्ध में अफवाह अत्यधिक प्रभावशाली हथियार हैं। अफवाह में आँखों देखी सच्ची बात नहीं की जाती है और तरह-तरह की मनगढ़न्त बातों को सुनाया जाता है। अफवाह एक ऐसा साधन है जो शत्रु को हतोत्साहित करने एवं आंतकित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। अफवाह निराशा एवं झूठी खबरें होती हैं जो सैनिकों के साथ-साथ असैनिकों को भी कुछ ही देर में मनोबलहीन एवं परास्त कर देती हैं।

अफवाह किसी वास्तविक या काल्पनिक व्यक्ति, समुदाय या घटना के सम्बन्ध में एक प्रकार का अभिव्यंजन या कल्पना कहानी है। इसकी विशेषता यह होती है कि यह प्राय: एक मुँह से दूसरे मुँह होती हुई तीव्रता के साथ फैलती है। इसमें अतिरंजना, एवं सम्मोहकता का समावेश होता है। उत्तेजना, भय, घृणा, अतिरिक्त लगाव अविश्वास व असुरक्षा जैसी स्थितियों में अफवाह शीघ्रता से फैलती है। विशेषतः युद्ध के समय गोपनीय बातों को जानने के लिए अफवाहें तेजी से फैलती है। जब कभी समाचार आदि प्राप्त होने में कठिनाई होती है तो अफवाहों को बल मिलता है और अफवाहें गलत समाचार प्रसारित करती है और जो लोग हर समय समाचार जानने के इच्छुक होते हैं वे इन अफवाहों पर भी विश्वास कर लेते हैं।

अफवाह सैनिक तथा असैनिक दोनों क्षेत्रों में फैली जाती है। प्रत्येक क्षेत्र में कुछ ऐसे लोग रहते हैं जिनके कानों में किसी प्रकार की खबर पड़ती है तो वे उसे बढ़ा-चढ़ाकर उसका रूप बदल देते हैं। इसमें उन्हें सफलता भी मिलती है। आश्चर्य की बात यह है कि अफवाह किस स्रोत से उड़ी है इसे कोई नहीं जानता है। अफवाह फैलाने वाला न तो स्वयं प्रमाण देता है और न सुनने वाला उससे प्रमाण मांगता है। वह एक प्रकार से संक्रामक रोग की भाँति इधर-उधर फैलती चली जाती है।

अफवाह को परिभाषित करते हुए जेम्स ड्रीवर ने कहा है कि " अफवाह एक अप्रमाणित कहानी होती है जो किसी विशेष घटना के होने को समुदाय में प्रसारित करती है।

पोस्टमैन तथा अलपोर्ट नें इस सम्बन्ध में लिखा है, "एक अफवाह सामान्यता सबूत की सुरक्षित कसौटियों के उपस्थित होते हुए बिना ही मुँह के शब्दों में एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति के पास पहुँचने वाले विश्वास के लिए एक विशेष बात है।

प्राय: कोई महत्वपूर्ण बात अस्पष्टता के कारण बहुत बढ़ाकर फैला दी जाती है जो अफवाहों का रूप ले लेती है। कुछ विद्वानों का मत हैं कि अफवाह में सत्य का कुछ न कुछ अंश अवश्य होता है, परन्तु प्रसार के कारण वह बढ़ता चला जाता है। कुछ समय पश्चात् यदि हम सत्य और असत्य के अंशों को अलग करना चाहें तो भी नहीं कर सकते क्योंकि उनमें अधिकांश शून्य में चला जाता है।

युद्ध में अफवाह का महत्व
(Importance of Rumour in War) 

युद्ध के समय समाचार प्राप्त करने की अत्यधिक उत्कंठा होती है। युद्ध में घटित घटनाओं की जानकारी चाहे वह अपने पक्ष की हो या शत्रु पक्ष की दोनों ही चाहते हैं। युद्ध के समय अफवाहें फैलाने की बहुत अधिक सम्भावनायें होती है। इसलिए प्रेस समाचार पत्र, रेडियो, टेलीविजन, पत्रिकाओं व अन्य साध नों को सावधानी बरतने को कहा जाता है। जब कोई यौद्धिक घटना घटती होती है तो प्रत्येक सैनिक हताहतों, मृतकों व कब्जे आदि अन्य गतिविधियों और घटनाओं का सही ज्ञान प्राप्त करना चाहता है। यदि इन समाचारों की सत्यता मिलने में देर हुई तो शीघ्र ही अफवाह फैल जाती है। दोनों पक्षों को ऐसी स्थिति की तलाश रहती है जब वह अफवाह फैलाकर शत्रु पक्ष के सैनिकों व असैनिकों के मनोबल को तोड़ सकें। युद्ध ही एक ऐसा अवसर है जब कम प्रयास करके अफवाह को फैलाया जा सकता है और अधिक से अधिक लाभ प्राप्त किया जा सकता है। यदि अफवाह ठीक ढंग से फैल जाती है तो सैनिक व असैनिक दोनों ही क्षेत्रों में आत्मसमर्पण करने की प्रवृत्ति बन जाती है। इसीलिए युद्धों में अफवाह का अत्यधिक महत्व है।

अफवाह प्रसार का उपयुक्त वातावरण (Suitable Atmosphere for Broad Casting Rumours ) - सामाजिक समूह के सामान्य वातावरण तथा समूह के व्यक्तियों की आवश्यकतानुसार संगठित समूहों में अफवाहों का प्रसारण करना सुगम होता है। अफवाहों के प्रसार के लिए निम्नलिखित परिस्थितियाँ सर्वाधिक उपयोगी होती हैं-

(1) सजातीय समूह - ऐसे समूह जिनकी अनुभूतियाँ समान होती हैं उनमें अफवाह तेजी से फैलती है, जैसे- एक समुदाय, नगर कस्बा, गाँव अथवा सेना।

(2) असन्तोष, द्वन्द्व, विरसता और बेकारी - इस प्रकार का वातावरण अफवाह को बल प्रदान करता है, इसीलिए छोटे समुदायों जैसे- अस्पताल, बन्दीगृह और शिविरों में अफवाहें आसानी से फैलती हैं। अफवाहें फैलाने के लिए प्रायः ऐसे ही स्थानों का चयन किया जाता है।

(3) सूचना का अभाव - महत्वपूर्ण सूचनाओं के अभाव में अफवाह फैलाना सुगम होता है। विशेषकर युद्ध के समय लोग समाचार जानने को अत्याधिक इच्छुक रहते हैं और यदि समाचार प्राप्त होने में देर लगती है तो अफवाहों का प्रसार शुरू हो जाता है और फिर सत्य समाचार भी असत्य लगता  है।

(4) प्रत्याशायें - अफवाह के फैलने में प्रत्याशायें बहुत सहायक हैं। मनुष्य समाचारों के प्रति क्रियाशील रहने, विजय का समाचार सुनने, लड़ाई से बचने, युद्ध से घर लौटने आदि अनेक प्रत्याशाओं के लिए उत्सुक रहता है, यदि इनकी पूर्ति नहीं होती है तो भी अफवाह फैलना शुरू हो जाती है।

(5) पूर्व धारणायें एवं संवेग - पूर्व धारणायें संवेग निर्धारण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। यदि दो समुदायों के बीच विपरीत पूर्व धारणा है तो उनका पारस्परिक सम्बन्ध संवेगात्मक हो जाता है, अतः वे एक-दूसरे की क्रियाओं को दोषपूर्ण समझने लगते हैं व वास्तविकता का ज्ञान प्राप्त किये बिना ही एक-दूसरे की दोषपूर्ण बातों को सुनकर उसे प्रसारित करने में आनन्द प्राप्त करते हैं। इस प्रकार अफवाहों को बल मिलता है।

अफवाह फैलने के कारण
(Causes of Broadcasting Rumours)

अफवाह फैलने के अनेक कारण होते हैं, उनमें से कुछ प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं-

(1) प्रमाण का अभाव - अफवाह इसलिए फैलती हैं, क्योंकि उसके पीछे कोई प्रमाण नहीं होता, फिर भी अधिकांश सुनने वाले उसे सुनकर और दोहराकर उसे आगे प्रसारित करने के लिए तैयार रहते हैं।

(2) संवेग का प्रदर्शन - अफवाह वे लोग भी फैलाते हैं, जिनका उसमें अविश्वास होता है, क्योंकि वह संवेगों का प्रदर्शन करने का अवसर प्रदान करता है, अन्यथा उन्हें दबाना पड़ सकता है इस प्रकार की अफवाहों को शत्रुतापूर्ण (Wedge Driving) अफवाह कहते हैं।

( 3 ) तनाव एवं चिन्ता - अफवाह प्रसार एक अभिलाषापूर्ण कल्पित चिन्तन करने में जुड़ जाता है। जिस बात के सत्य होने की आशा होती है, मनुष्य को उसको दोहराने एवं विश्वास करने में आनन्द आता है। कल्पित चिन्तन पर आधारित अफवाहों को मनोकूल (Pipedream) अफवाह कहा जाता है।

(4) आकुलता अथवा दुश्चिन्ता - कुछ अफवाहें इसलिए फैलती हैं, क्योंकि कभी-कभी लोगों में आकुलतायें अथवा दुश्चिन्तायें व्याप्त रहती हैं। वे जब एक ही प्रकार की वस्तुओं से भयभीत होते हैं, तो उन वस्तुओं के बारे में अफवाहों को विश्वसनीय मान लेते हैं।

अफवाह फैलाने के साधन
(Resourcesto Broadcasting Rumour) -

प्रायः अफवाहें स्वत: ही किसी माध्यम से फैल जाती है परन्तु युद्ध के समय एक शस्त्र के रूप में अफवाहों का प्रयोग किया जाता है। इन अफवाहों को पूर्व निर्धारित योजनाओं के साथ विभिन्न माध्यमों द्वारा साधनों से प्रसारित किया जाता है। ये साधन निम्नलिखित हैं -

(1) परस्पर वार्तालाप द्वारा - साधारण बातचीत के द्वारा भी अफवाहें इधर-उधर फैल जाती हैं, या फैलाई जाती हैं। यह अफवाहें सीमित क्षेत्र में ही फैलती हैं।

(2) समाचार पत्रों के माध्यम से - समाचार पत्रों के माध्यम से भी अफवाहों को प्रसारित किया जाता है। कश्मीर मामले को लेकर पाकिस्तान अपने समाचार पत्रों में लगातार यह खबर छापता रहता है कि भारतीय फौजें सीमा पर घुसपैठ कर रही हैं तथा गोलाबारी कर रही हैं।

(3) झूठे रेडियो स्टेशन द्वारा - द्वितीय विश्वयुद्ध में जर्मनी ने एक ऐसे ही झूठे रेडियो स्टेशन का निर्माण किया था जिससे झूठी अफवाहें प्रसारित करके इंग्लैंड की प्रतिष्ठा को चोट पहुँचाई जाती थी। यह भी अफवाहों को प्रसारित करने का एक माध्यम है।

(4) रेडियो द्वारा - रेडियो के द्वारा समाचारों के माध्यम से झूठी बातें प्रसारित की जाती हैं, जैसे- आजाद कश्मीर, तथा पाकिस्तान रेडियो से युद्ध के झूठे समाचार दिये जाते हैं।

अफवाहों को नियंत्रित करने की विधियाँ
(Methods of Control Rumours) -

अफवाहों को फैलने से नियंत्रित करने के लिए कुछ आवश्यक विधियों को अपनाने की आवश्यकता पड़ती है। इनके अपनाने से अफवाहों कों नियंत्रित किया जा सकता है। ये विधियाँ निम्नलिखित हैं-

(1) अपने देश की संचार व्यवस्था पर विश्वास - जब सैनिक अथवा असैनिक जनता सरकारी, सूचनाओं, प्रेस व प्रसार माध्यमों (रेडियों तथा टेलीविजन) पर अविश्वास करने लगते हैं तो अफवाहें तेजी से फैलती हैं और यदि सैनिक तथा देश की जनता अपने देश की संचार व्यवस्था पर विश्वास करती है तो अफवाह फैलने से रूक सकती है। अत: जनता तथा सैनिकों में सरकारी प्रसारणों तथा संचार व्यवस्था के प्रति विश्वास पैदा करके अफवाहों को नियंत्रित किया जा सकता है।

(2) नेताओं पर विश्वास पैदा करना - सभी सैनिकों एवं जनता में यह विश्वास पैदा कर देना चाहिए कि उनके नेता उन्हें जो सूचनाएँ दे रहे हैं वह सत्य है और यदि कुछ छिपाया भी जा रहा है तो वह राष्ट्रहित में है। इस प्रकार जनता अफवाहों पर ध्यान नही देती तथा सेन्सरशिप का भी सम्मान करती है।

(3) लोगों को व्यस्त रखा जाये - यह कहावत बिल्कुल सत्य है कि खाली दिमाग शैतान का घर होता है। इसलिए सभी व्यक्तियों को किसी न किसी कार्य में व्यस्त रखा जाये। उन्हें बेकारी तथा नीरसता से बचाया जाये क्योंकि खाली मस्तिष्क असत्य वार्ता के लिए प्रेरित करता है चिन्तायें व्याप्त होती है जिससे अफवाहें फैलती हैं।

(4) अधिकाधिक तथ्यों को प्रस्तुत किया जाये - प्रेस, रेडियो व टेलीविजन के द्वारा परिस्थितियों के अनुकूल विपक्षी को ध्यान में रखते हुए विस्तृत सूचनायें प्रसारित की जानी चाहिए। मनुष्य वास्तविकता का भूखा होता है और जब उन्हें सत्यता का पता नहीं चलता तो वे अफवाहों की शरण में चले जाते हैं। अतः सभी घटनाओं की सूचना शीघ्र देनी चाहिए जो देशहित में हो।

(5) अफवाह फैलाने वालों की तलाश व अफवाह प्रसारण को रोके अफवाहों के विरूद्ध अभियान छोड़ा जाये तथा अफवाह फैलाने वाले की सर्वप्रथम खोज की जाये और उनसे सख्ती से निपटा जाये जब अफवाह का स्रोत मिल जाये तो उसकी भर्त्सना की जाये जिससे वह दोबारा ऐसा न करें तथा दोबारा कोई उन पर विश्वास न करें।

अफवाहों को रोकने का प्रयास करें। लोगों को बतायें कि अफवाहें शत्रु प्रचार का अंग हैं। झूठी अफवाहों का खंडन करें तथा वास्तविकता बतायें। इस हेतु सेना के कमाण्डरों को "अफवाह निदान केन्द्र" तथा अफवाह सूचना पट्ट की व्यवस्था करनी चाहिए तथा ऐसी ही व्यवस्था नागरिक प्रशासन को भी करनी चाहिए।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- स्त्रातेजी अथवा कूटयोजना (Strategy) का क्या अभिप्राय है? इसकी विभिन्न परिभाषाओं की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
  2. प्रश्न- स्त्रातेजी का उद्देश्य क्या है? स्त्रातेजी के उद्देश्यों की पूर्ति के लिये क्या उपाय किये जाते हैं?
  3. प्रश्न- स्त्रातेजी के सिद्धान्त की विवेचना कीजिए।
  4. प्रश्न- महान स्त्रातेजी पर एक लेख लिखिये तथा स्त्रातेजी एवं महान स्त्रातेजी में अन्तर स्पष्ट कीजिये।
  5. प्रश्न- युद्ध कौशलात्मक भूगोल से आप क्या समझते हैं? सैन्य दृष्टि से इसका अध्ययन क्यों आवश्यक है?
  6. प्रश्न- राष्ट्रीय नीति के साधन के रूप में युद्ध की उपयोगिता पर प्रकाश डालिये।
  7. प्रश्न- स्त्रातेजी का अर्थ तथा परिभाषा लिखिये।
  8. प्रश्न- स्त्रातेजिक गतिविधियाँ तथा चालें किसे कहते हैं तथा उनमें क्या अन्तर है?
  9. प्रश्न- महान स्त्रातेजी (Great Strategy) क्या है?
  10. प्रश्न- पैरालिसिस स्त्रातेजी पर प्रकाश डालिये।
  11. प्रश्न- युद्ध की परिभाषा दीजिए। इसकी विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  12. प्रश्न- युद्धों के विकास पर एक विस्तृत लेख लिखिए।
  13. प्रश्न- युद्ध से आप क्या समझते है? युद्ध की विशेषताएँ बताते हुए इसकी सर्वव्यापकता पर प्रकाश डालिए।
  14. प्रश्न- युद्ध की चक्रक प्रक्रिया (Cycle of war) का उल्लेख कीजिए।
  15. प्रश्न- युद्ध और शान्ति में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  16. प्रश्न- युद्ध से आप क्या समझते हैं?
  17. प्रश्न- वैदिककालीन सैन्य पद्धति एवं युद्धकला का वर्णन कीजिए।
  18. प्रश्न- राजदूतों के कर्तव्यों का विशेष उल्लेख करते हुए प्राचीन भारत की युद्ध कूटनीति पर एक निबन्ध लिखिये।
  19. प्रश्न- समय और कालानुकूल कुरुक्षेत्र के युद्ध की अपेक्षा रामायण का युद्ध तुलनात्मक रूप से सीमित व स्थानीय था। कुरुक्षेत्र के युद्ध को तुलनात्मक रूप में सम्पूर्ण और 'असीमित' रूप देने में राजनैतिक तथा सैन्य धारणाओं ने क्या सहयोग दिया? समीक्षा कीजिए।
  20. प्रश्न- वैदिक कालीन "दस राजाओं के युद्ध" का वर्णन कीजिये।
  21. प्रश्न- महाकाव्यों के काल में युद्धों के वास्तविक कारण क्या होते थे?
  22. प्रश्न- महाकाव्यों के काल में युद्ध के कौन-कौन से नियम होते थे?
  23. प्रश्न- महाकाव्यकालीन युद्ध के प्रकार एवं नियमों की विवेचना कीजिए।
  24. प्रश्न- वैदिक काल के रण वाद्य यन्त्रों के बारे में लिखिये।
  25. प्रश्न- पौराणिक काल में युद्धों के क्या कारण थे?
  26. प्रश्न- प्राचीन भारतीय सेना के युद्ध के नियमों को बताइये।
  27. प्रश्न- युद्ध के विभिन्न सिद्धान्तों का वर्णन कीजिए।
  28. प्रश्न- युद्धों के सिद्धान्तों में प्रशासन (Administration) का क्या महत्व है?
  29. प्रश्न- नीति के साधन के रूप में युद्ध के प्रयोग पर सविस्तार एक लेख लिखिए।
  30. प्रश्न- राष्ट्रीय नीति के साधन के रूप में युद्ध की उपयोगिता पर प्रकाश डालिये।
  31. प्रश्न- राष्ट्रीय शक्ति के निर्माण में युद्ध की भूमिका पर प्रकाश डालिए।
  32. प्रश्न- अतीत को युद्धों की तुलना में वर्तमान समय में युद्धों की संख्या में कमी का क्या कारण है? प्रकाश डालिए।
  33. प्रश्न- आधुनिक युद्ध की प्रकृति और विशेषताओं की विस्तार से व्याख्या कीजिए।
  34. प्रश्न- आधुनिक युद्ध को परिभाषित कीजिए।
  35. प्रश्न- गुरिल्ला स्त्रातेजी पर माओत्से तुंग के सिद्धान्तों का उल्लेख करते हुए गुरिल्ला युद्ध के चरणों पर प्रकाश डालिए।
  36. प्रश्न- चे ग्वेरा के गुरिल्ला युद्ध सम्बन्धी विभिन्न विचारों का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए।
  37. प्रश्न- गुरिल्ला युद्ध (छापामार युद्ध) के उद्देश्यों का वर्णन कीजिए तथा गुरिल्ला विरोधी अभियान पर प्रकाश डालिए।
  38. प्रश्न- प्रति विप्लवकारी (Counter Insurgency) युद्ध के तत्वों तथा अवस्थाओं पर प्रकाश डालिए।
  39. प्रश्न- चीन की कृषक क्रान्ति में छापामार युद्धकला की भूमिका पर अपने विचार लिखिए।
  40. प्रश्न- चे ग्वेरा ने किन तत्वों को छापामार सैन्य संक्रिया हेतु परिहार्य माना है?
  41. प्रश्न- छापामार युद्ध कर्म (Gurilla Warfare) में चे ग्वेरा के योगदान की विवेचना कीजिए।
  42. प्रश्न- गुरिल्ला युद्ध में प्रचार की भूमिका पर प्रकाश डालिए।
  43. प्रश्न- गुरिल्ला युद्ध कर्म की स्त्रातेजी और सामरिकी पर प्रकाश डालिये।
  44. प्रश्न- छापामार युद्ध को परिभाषित करते हुए इसके सम्बन्ध में चे ग्वेरा की विचारधारा का वर्णन कीजिए।
  45. प्रश्न- लेनिन की गुरिल्ला युद्ध-नीति की विवेचना कीजिए।
  46. प्रश्न- गुरिल्ला युद्ध क्या है?
  47. प्रश्न- मनोवैज्ञानिक युद्ध कर्म पर एक निबन्ध लिखिए।
  48. प्रश्न- आधुनिक युद्ध क्या है? 'आधुनिक युद्ध अन्ततः मनोवैज्ञानिक है' विस्तृत रूप से विवेचना कीजिए।
  49. प्रश्न- सैन्य मनोविज्ञान के बढ़ते प्रभाव क्षेत्र का वर्णन कीजिए।
  50. प्रश्न- मनोवैज्ञानिक युद्ध के कौन-कौन से हथियार हैं? व्याख्या कीजिए।
  51. प्रश्न- प्रचार को परिभाषित करते हुए इसके विभिन्न प्रकारों का वर्णन कीजिए।
  52. प्रश्न- अफवाह (Rumor) क्या है? युद्ध में इसके महत्व का उल्लेख करते हुए अफवाहों को नियंत्रित करने की विधियों का वर्णन कीजिए।
  53. प्रश्न- आतंक (Panic) से आप क्या समझते हैं? आंतंक पर नियंत्रण पाने की विधि का वर्णन कीजिए।
  54. प्रश्न- भय (Fear) क्या है? युद्ध के दौरान भय पर नियंत्रण रखने वाले विभिन्न उपायों का वर्णन कीजिए।
  55. प्रश्न- बुद्धि परिवर्तन (Brain Washing) क्या हैं? बुद्धि परिवर्तन की तकनीकों तथा इससे बचने के उपायों का उल्लेख कीजिए।
  56. प्रश्न- युद्धों के प्रकारों का उल्लेख करते हुए विशेष रूप से मनोवैज्ञानिक युद्ध का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए।
  57. प्रश्न- युद्ध की परिभाषा दीजिए। युद्ध के सामाजिक, राजनैतिक, सैन्य एवं मनोवैज्ञानिक कारणों की विवेचना कीजिए।
  58. प्रश्न- कूटनीतिक प्रचार (Strategic Propaganda ) एवं समस्तान्त्रिक प्रचार (Tactical Propaganda ) में अन्तर स्पष्ट कीजिये।
  59. प्रश्न- प्रचार एवं अफवाह में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  60. प्रश्न- मनोवैज्ञानिक युद्ध की उपयोगिता बताइये।
  61. प्रश्न- युद्ध एक आर्थिक समस्या के रूप में विवेचना कीजिए।
  62. प्रश्न- आर्थिक युद्ध की परिभाषा दीजिए। आर्थिक युद्ध कर्म पर एक निबन्ध लिखिए।
  63. प्रश्न- आधुनिक युद्ध राजनीतिक सैनिक कारणों की अपेक्षा सामाजिक आर्थिक कारकों के कारण अधिक होते हैं। व्याख्या कीजिए।
  64. प्रश्न- आर्थिक क्षमता से आप क्या समझते हैं?
  65. प्रश्न- आधुनिक युद्ध में आर्थिक व्यवस्था का महत्व बताइये।
  66. प्रश्न- युद्ध को प्रभावित करने वाले तत्वों में से प्राकृतिक संसाधन पर प्रकाश डालिए।
  67. प्रश्न- युद्ध कौशलात्मक आर्थिक क्षमताएँ व दुर्बलताएँ बताइये।
  68. प्रश्न- युद्धोपरान्त उत्पन्न विभिन्न आर्थिक समस्याओं का विश्लेषण कीजिये
  69. प्रश्न- युद्ध की आर्थिक समस्यायें लिखिए?
  70. प्रश्न- युद्ध के आर्थिक साधन क्या हैं?
  71. प्रश्न- परमाणु भयादोहन के हेनरी किसिंजर के विचारों की व्याख्या कीजिये।
  72. प्रश्न- आणविक भयादोहन पर एक निबन्ध लिखिये।
  73. प्रश्न- परमाणु भयादोहन और रक्षा के सन्दर्भ में निम्नलिखित सैन्य विचारकों के विचार लिखिए। (i) आन्द्रे ब्यूफ्रे (Andre Beaufre), (ii) वाई. हरकाबी (Y. Harkabi), (iii) लिडिल हार्ट (Liddle Hart), (iv) हेनरी किसिंजर (Henery Kissinger) |
  74. प्रश्न- परमाणु युग में सशस्त्र सेनाओं की भूमिका की विस्तृत समीक्षा कीजिए।
  75. प्रश्न- मैक्यावली से परमाणु युग तक के विचारों एवं प्रचलनों की विवेचना कीजिए।
  76. प्रश्न- आणविक युग में युद्ध की आधुनिक स्रातेजी को कैसे प्रयोग किया जायेगा?
  77. प्रश्न- 123 समझौते पर विस्तार से लिखिए।
  78. प्रश्न- परमाणविक युद्ध की प्रकृति एवं विशिष्टताओं का वर्णन कीजिए।
  79. प्रश्न- आणविक शीत से आप क्या समझते हैं?
  80. प्रश्न- नाभिकीय तनाव को स्पष्ट कीजिए।
  81. प्रश्न- परमाणु बम का प्रथम बार प्रयोग कब और कहाँ हुआ?
  82. प्रश्न- हेनरी किसिंजर के नाभिकीय सिद्धान्त का मूल्यांकन कीजिए।
  83. प्रश्न- व्यापक परमाणु परीक्षण प्रतिबन्ध सन्धि (C.T.B.T) से आप क्या समझते हैं?
  84. प्रश्न- हरकावी के नाभिकीय भय निवारण- सिद्धान्त का मूल्यांकन कीजिए।
  85. प्रश्न- आणविक युग पर प्रकाश डालिए।
  86. प्रश्न- हर्काबी के नाभिकीय युद्ध संक्रिया सम्बन्धी विचारों की समीक्षा कीजिए।
  87. प्रश्न- रासायनिक तथा जैविक अस्त्र क्या हैं? इनके प्रयोग से होने वाले प्रभावों की विवेचना कीजिए।
  88. प्रश्न- रासायनिक युद्ध किसे कहते हैं? विस्तार से उदाहरण सहित समझाइए।
  89. प्रश्न- विभिन्न प्रकार के रासायनिक हथियारों पर प्रकाश डालिए।
  90. प्रश्न- जैविक युद्ध पर एक निबन्ध लिखिए।
  91. प्रश्न- रासायनिक एवं जैविक युद्ध कर्म से बचाव हेतु तुलनात्मक अध्ययन कीजिए।
  92. प्रश्न- रासायनिक एवं जीवाणु युद्ध को समझाइये |
  93. प्रश्न- जनसंहारक अस्त्र (WMD) क्या है?
  94. प्रश्न- रासायनिक एवं जैविक युद्ध के प्रमुख आयामों पर संक्षिप्त टिप्पणी कीजिए।
  95. प्रश्न- विश्व में स्थापित विभिन्न उद्योगों में रासायनिक गैसों के उपयोग एवं दुष्प्रभाव परप्रकाश डालिए।
  96. प्रश्न- प्रमुख रासायनिक हथियारों के नाम एवं प्रभाव लिखिए।

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